Sunday, November 6, 2011

Shaam



इस शाम की आखें थोड़ी खामोश हैं, ठहरी हैं,
जो समय के पलकों के इंतज़ार में बैठी हैं,
उनके चेहरे पे जो खुशी बिखरी है,
काश मैं उनको कहीं कैद कर पाता


-- Anup kumar


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